अगर आप फैटी लिवर से ग्रस्त हैं, तो आपके बच्चों को भी हो सकती है ये समस्या, यहां है इसके 5 कारण

Liver Transplant in India

जब आप अपने पेरेंट्स से नाक-नक्शा, कद-काठी और फूड हेबिट्स विरासत के रूप में ग्रहण कर रहे होते हैं, तब संभावना है कि आप उनसे कुछ बीमारियां भी ले रहे हों।

पापा की आदतें, मम्मी के हाथ का स्वाद और अपनी बहनों जैसी फूड हेबिट्स! एक परिवार के रूप में आप सिर्फ यही शेयर नहीं करते। स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपकी कद-काठी के साथ-साथ आपको होने वाली बीमारियों के लिए भी जेनेटिक्स को दोष देते हैं। इनमें मोटापा, डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम ही नहीं, बल्कि फैटी लिवर डिजीज भी शामिल है। जी हां, यह सही है कि नॉन अल्कहोलिक फैटी लिवर डिजीज के लिए आपके जीन भी जिम्मेदार हो सकते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में और भी विस्तार से। 

बदलती जीवन शैली ने कई प्रकार के समस्याओं को न्यौता दिया है। मोटापा,मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं आम हो गईं हैं। गतिहीन जीवन शैली के साथ-साथ एल्कोहल के सेवन को भी अक्सर लिवर खराब होने का कारण माना जाता है। पर ऐसा जरूरी नहीं है कि सिर्फ उन्हीं लोगों को फैटी लिवर डिजीज हो। असल में जो लोग एल्कोहल का सेवन नहीं करते, उन्हें भी नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का सामना करना पड़ सकता है। इसका दोष आपके खराब लाइफस्टाइल के साथ-साथ आपके जेनेटिक्स को भी दिया जा सकता है। 

शरीर के लिए महत्वपूर्ण है एक स्वस्थ लिवर

लिवर आपके पेट के दाहिने तरफ आपकी पसलियों के नीचे होता है। आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है कि आपका लिवर ठीक तरह से काम कर रहा हो। आप के खून से अमीनो एसिड को नियंत्रित करना, खून में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को संतुलन में रखना, आपके रक्त के थक्के का प्रबंधन करना, साथ ही रक्तप्रवाह से बैक्टीरिया और अन्य विषाक्त पदार्थों को साफ करने का काम लिवर ही करता है। यदि यह ठीक से काम नहीं कर पाता, तो आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 

जानिए क्या है फैटी लिवर डिजीज ? 

फैटी लिवर डिजीज और जेनेटिक्स के कनैक्शन को समझने के लिए हमने फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के लीवर ट्रांसप्लांट और एचपीबी सर्जरी विभाग में सलाहकार और मुख्य सर्जन डॉ गौरव गुप्ता से बात की।

डॉ गौरव गुप्ता कहते हैं कि फैटी लिवर एक लाइफस्टाइल समस्या है। बिलकुल वैसे ही जैसे डायबिटीज और अन्य जीवनशैली बीमारियां। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि इस समस्या में लिवर में फैट जमा हो जाता है। फैटी लिवर को हैपेटिक स्टीटोसिस के नाम से भी जाना जाता है। 

आपके लिवर में यदि फैट की मात्रा कम हो, तो यह नुकसानदायक नहीं होता। पर यदि फैट की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, तो यह कई स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकता है। लिवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग होता है। यह भोजन से पोषक तत्व को संशोधित करने में मदद करता है। जब लिवर पर फैट जमा हो जाता है, तो हमें पोषण की कमी होने लगती है। जिससे वजन घटने जैसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं।

दो तरह की होती है फैटी लिवर डिजीज 

जब किसी व्यक्ति को ज्यादा शराब पीने के कारण यह समस्या होती है, तो इसे अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD) के रूप में जाना जाता है। एनसीबीआई के अनुसार जो पुरुष प्रति दिन 40 से 80 ग्राम शराब का सेवन करते हैं और जो महिलाएं 10 से 12 वर्षों में प्रतिदिन 20 से 40 ग्राम शराब का सेवन करती हैं, उनमें शराब से संबंधित गंभीर लिवर की बीमारियों का खतरा अधिक होता है।

हालांकि यदि यह समस्या किसी ऐसे व्यक्ति को हो जाती है, जो शराब का सेवन नहीं करता तो उसे नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) कहा जाता है।

क्या हो सकते हैं नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के कारण?

अकसर लोग यह सवाल करते हैं कि शराब का ज्यादा सेवन न करने के बावजूद क्यों कुछ लोगों को फैटी लिवर की समस्या हो जाती है़? हालांकि ऐसे मामले तुलनात्मक रुप से कम होते हैं, पर इसके कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। संभवत: उनका शरीर ज्यादा फैट पैदा करता है या फिर फैट को कुशलतापूर्वक चयापचय नहीं कर पाता। यहां कुछ ऐसे कारण दिए गए हैं, जो उन लोगों में फैटी लिवर की समस्या को उत्पन्न कर सकता है जो एल्कोहल का सेवन ना के बराबर या बहुत कम करते हैं।

1.मोटापा 

यह एक जेनेटिक समस्या है। यह आपकी जींस के साथ ट्रेवल कर सकता है। यानी यदि आपके परिवार के सदस्य मोटापे से ग्रस्त हैं, तो संभावनाएं हैं कि आपको और आपके होने वाले बच्चों को भी मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ जाए। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर के होने के पीछे का कारण मोटापा हो सकता है और मोटापे के होने के पीछे एक कारण जीन है।

2 डायबिटीज 

यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों के कारण होता है। वैज्ञानिकों ने कई जीन उत्परिवर्तन को उच्च मधुमेह जोखिम से जोड़ा है। उत्परिवर्तन करने वाले हर व्यक्ति को मधुमेह नहीं होगा। हालांकि, मधुमेह वाले कई लोगों में इनमें से एक या अधिक उत्परिवर्तन होते हैं। और फैटी लीवर के लिए डायबिटीज जिम्मेदार है।

3.इंसुलिन रेसिस्टेंस

भले ही यह एक रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर हो, लेकिन नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर का कारण बन सकता है। डायबिटीज के उन रोगियों को इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हुए देखा होगा जिनकी शुगर ज्यादातर बढ़ जाती है। इसमें कोशिकाएं इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता।

4.ट्राइग्लिसराइड्स

यह समस्या अस्वस्थ खानपान और एक गतिहीन जीवन शैली के कारण हो सकती है। हालाकि कुछ लोगों में उच्च ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं, क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता से आनुवंशिक प्रवृत्ति विरासत में मिली है। एक सामान्य विरासत में मिली स्थिति को पारिवारिक हाइपरट्रिग्लिसराइडिमिया कहा जाता है।

5.मेटाबॉलिक सिंड्रोम 

यह भी एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो मेटाबॉलिज्म में समस्याएं उत्पन्न करता है। चयापचय संबंधी विकारों वाले ज्यादतार लोगों में एक दोषपूर्ण जीन होता है जिसके परिणामस्वरूप एंजाइम की कमी हो जाती है।

हालांकि इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं जिसमें शामिल है:

  1. गर्भावस्था
  2. दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव
  3. कुछ प्रकार के संक्रमण, जैसे कि हेपेटाइटिस सी
  4. रेयर जेनेटिक्स स्थितियां

जेनेटिक्स और फैटी लिवर डिजीज

डॉ गौरव कहते हैं कि यह एक जेनेटिक समस्या भी है, क्योंकि ज्यादातर मरीजों में डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कई हृदय संबंधित समस्याएं जेनेटिक्स के कारण होती हैं। हालांकि जेनेटिक्स पूरी तरह फैटी लीवर के लिए जिम्मेदार नहीं होता। 

वे आगे कहते हैं कि इसके लिए भी ज्यादातर लाइफस्टाइल ही जिम्मेदार है। जबकि शेष  जीन के कारण हो सकता है। वे सलाह देते हैं कि आपको फैटी लिवर का कितना भी खतरा क्यों न हो आप एक अच्छी लाइफ स्टाइल के माध्यम से खुद की सेहत का ख्याल रख सकती हैं।

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